शारदीय नवरात्रि 2024 के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है ।
माता जी के 9 स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूजा करने का महत्व है, प्रतिदिन की पूजा में उस दिन से संबंधित देवी के स्वरूप का पूजन भोग एवं मंत्र जप से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है,कोई साथ नही दे असहाय हो जाय पर मां हर मुश्किल परिस्थितियों में साथ देती है ,पितृ दोष हो मंगल दोष हो ,चंद्र दोष ,शनि दोष , राहु दोष सभी प्रकार के दोषो के समाधान का एक सर्वोत्तम उपाय है।
नवरात्रि में माता जी की आराधना, व्यवसाय में उन्नति , शीघ्र विवाह के लिए, संतान बाधा निवारण के लिए,आकस्मिक धन लाभ मां हर मनोकामना की पूर्ति करती है ।यह आवश्यक नहीं की कोई मनोकामना / इच्छा की पूर्ति के लिए ही माताजी की पूजा जप तप साधना की जाए, माताजी तो सर्व मंगलकारी सभी सुख के साथ मोक्ष प्रदान करने वाली है।निष्काम भाव से किया गया, तप मनुष्य को परम आनंद प्रदान करता है।
माता जी के मंत्र का एक अक्षर भी कान में पड़ जाए तो उसका फल यह होता है, कि मूर्ख भी मधुपाक के समान मधुर वाणी का उच्चारण करने वाला उत्तम वक्ता हो जाता है ,दीन मनुष्य भी करोड़ों स्वर्ण मुद्राओं से संपन्न हो जाता है, जब मंत्र के एक अक्षर मंत्र के श्रवण का ऐसा फल है तो जो लोग विधि पूर्वक जप में लगे रहते हैं उनके जप से प्राप्त होने वाला उत्तम फल कैसा होगा माताजी के जप, तप ,आराधना की महिमा अपरंपार एवं अकल्पनीय है। जिनके बखान के लिए शब्द नहीं है ।
पिछले ब्लॉग में नवरात्रि 2024 के घट स्थापना मुहूर्त तिथि की जानकारी दी जा चुकी है। इस ब्लॉग में माता जी के 9 दिन 9 रूप की पूजा उपासना जप की विधि दी जा रही है । आईये विस्तार से जानते हैं इस बारे में –
इन नौ दिनों में प्रतिदिन देवी के अलग अलग स्वरूप का पूजन करके ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नर्वाण मंत्र का जप यथाशक्ति किया जा सकता है। ये सर्व सिद्धि प्रदान करता हे।
नवरात्रि का पहला दिन- पहले दिन मां शैलपुत्री के स्वरूप का पूजन किया जाता है । इस दिन कलश स्थापना के उपरांत माता जी को सफेद पुष्प अर्पित करें । मां के पूजन से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप में माता जी का पूजन किया जाता है।पंचामृत का भोग लगाए एवं पीले पुष्प अर्पित करें ।
नवरात्रि का तीसरा दिन – तीसरे दिन मां चंद्रघंटा स्वरूप में भक्तों को दर्शन प्रदान करती है माता जी के 108 नाम का पाठ करें ।दूध से बनी मिठाई भोग के रूप में अर्पित करें ,मां चंद्रघंटा सभी पाप बाधाओ को दूर कर देती है ।केसर युक्त खीर का भोग भी लगाया जा सकता है।
नवरात्रि चौथा दिन
चौथे दिन मां कुष्मांडा का आगमन होता है माँ को चंदन का तिलक लगाकर स्वागत करें ,पीले वस्त्र पहनें एवं पीले फूल चढ़ाए ।मां कुष्मांडा के लिए मालपुआ का भोग अर्पित करें, समस्त रोग शोक का नाश करने की प्रार्थना करते हुए,
108 पीले चावल अर्पित करें।
नवरात्रि का पांचवा दिन
पांचवें दिन माता के स्कंदमाता के रुप मे आपको दर्शन होगे ,इस दिन माता जी को पान चढ़ाए एवं केले का भोग लगाए।
मां स्कंदमाता सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है अतः मन में कोई भी इच्छा रखकर प्रार्थना करे।
नवरात्रि छठा दिन
मां कात्यायनी का चार भुजाओं वाली माता का करुणामय स्वरूप है, माता जी को शहद का भोग लगाए एवं गुड़हल के फूल चढ़ाए ।वैवाहिक सफलता के लिए मां की आराधना करें
नवरात्रि का सातवां दिन
सातवें दिन माँ कालरात्रि अपने विराट स्वरूप का दर्शन देती है । मां कालरात्रि को गुड़ के लड्डू या मालपुआ का भोग चढ़ाए।
हो सके तो रात्रि में 9 से 10 के बीच पूजा करें ।रात रानी का फूल उपलब्ध हो तो अर्पित करें ।मां कालरात्रि शत्रुओं से रक्षा करती है ।
नवरात्रि का आठवां दिन जगदंबा स्वरूप में महागौरी माँ प्रकट होती है, महागौरी माता अखंड सौभाग्य प्रदान करती है ।इस दिन माता जी को सुहाग सामग्री चुनरी चढ़ाए। नारियल की बर्फी का भोग अर्पित करे।
ऊँ ऐं हीं क्लीं चामुंडायै विच्चै
इस मंत्र को बोलते हुए माता जी को मोगरे के फूल अर्पित करें
नवरात्रि का नौवां दिन
मां सिद्धिदात्री भक्तों के 9 दिन के तप को आशीर्वाद और सिद्धि देने के लिए स्वयं उपस्थित होती है ।
इस दिन लाल रंग के 9 फूल चढ़ाए ।
ऊँ सिद्धिदात्री देव्यै नमः
इस मंत्र का यथाशक्ति जप करें।
हो सके तो नौ कन्याओं को भोजन करा भेंट उपहार दे देंवे ।
सभी दिन एक ही जप माला का प्रयोग करे।जप माला नियम का ध्यान रखे । पुर्ण श्रद्धा एवम शुद्ध भावना से किया जप तप कभी असफल नही होता, मां सबकी सुनती है स्वप्न में मार्गदर्शन भी करती है।
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