गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
गणपति की स्थापना करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले घर, मंदिर साफ करें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहनें। पूजन सामग्री लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख कर शुद्ध आसन पर बैठ जाएं। अपने घर के उत्तर भाग या पूर्वोत्तर भाग में भी गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति रख सकते हैं और दक्षिण पूर्व में दीपक जलाएं। गणेश जी की मूर्ति को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। गणेश भगवान की प्रतिमा की पूर्व दिशा में कलश रखें। गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि को भी स्थापित करें और साथ में एक-एक सुपारी रखें। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ऊँ पुण्डरीकाक्षाय नमः मंत्र का जाप करें। भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं। मूर्ति स्थापित करने के बाद गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले पुष्प और फल चढ़ाएं। पूजन आरंभ करें तथा अंत में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे। गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर विधिपूर्वक पूजन की परम्परा निभानी चाहिए, जो अधिक लाभदायक होता है।
पूजन सामग्री की लिस्ट
मूर्ति स्थापना के लिए लाल या पीला वस्त्र
लकड़ी का पटरा
प्रभु के लिए वस्त्र
घी का दीपक
शमी पत्ता
गंगाजल
पंचामृत
सुपारी
जनेऊ
लड्डू
चंदन
अक्षत
धूप
फल
फूल
दूर्वा
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥