पितरों के पूजा और वंदन का महापर्व पितृपक्ष अब अपनी अंतिम चरण में है. पितृपक्ष के 15 दिनों में पितरों को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के ज्योतिष उपाय भी करते हैं. साथ ही तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने का भी विधान है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ऐसा करने से सिर्फ पितर ही नहीं बल्कि पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है. अगर आप श्राद्ध या पितृ दोष की शांति नहीं करा पा रहे हैं तो एक और आसान तरीका है, जिससे आप पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं.
भगवद गीता का सातवां अध्याय पितृ मुक्ति और मोक्ष से जुड़ा है. ज्योतिष के मुताबिक, पितृ पक्ष में गीता के सातवें अध्याय का पाठ करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. पितृ दोष से मुक्ति मिलने के बाद, स्वास्थ्य, परिवार, और धन से जुड़ी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं.
सातवें अध्याय के 30 श्लोकों का कराए पाठ अगर आप भी पितृपक्ष के दौरान पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता के मुताबिक पितृपक्ष में पितृदोष से मुक्ति के लिए यथा शक्ति ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. इसके अलावा ब्राह्मण से श्रीमद्भागवत गीता के सातवें अध्याय में वर्णित सभी 30 श्लोकों का पाठ कराना चाहिए. इससे पितृ प्रेत योनि से मुक्त होते हैं और पितृदोष भी समाप्त होता है.पितृ दोष निवारण के लिए ऑनलाइन पुजा करवाई जाती हे । जिसमे आप शामिल हो सकते है। जय गोविंदा