हर साल की तरह इस साल भी 15 जून को नैनीताल के पास विश्व प्रसिद्ध नीम करोली महाराज के कैंची धाम में प्रसिद्ध भोज का आयोजन किया जाएगा. इस दिन दो लाख से ज्यादा लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दिन भक्तों और आने वाले वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि जिला प्रशासन को इसके लिए खास इंतजाम करने पड़ते हैं. मान्यता है कि भोजन करने वालों की संख्या ज्यादा होने पर भी कभी भोजन की कमी नहीं होती, क्योंकि इस दिन नीम करोली बाबा खुद इस भोज का ध्यान रखते हैं और किसी चीज की कमी नहीं होने देते.
कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा अलग-अलग वर्षों में 15 जून को की गई थी. इस तरह से हर साल 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है. नीम करोली बाबा ने स्वयं भी कैंची धाम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन तय किया था. नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली और भौतिक शरीर छोड़ दिया. उनकी अस्थियों को कैंची धाम में स्थापित किया गया और इस तरह 1974 में बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. सभी ने नीम करोली बाबा की भौतिक उपस्थिति को महसूस किया. फिर वैदिक मंत्रों के साथ बाबा की मूर्ति स्थापित की गई और नीम करोली बाबा को गुरु मूर्ति के रूप में कैंची धाम में विराजमान किया गया.
बाबा को हिमालय से अटूट प्रेम ‘
बाबा को हिमालय से अटूट प्रेम था. बाबा 20वीं सदी के तीसरे दशक में उत्तराखंड आए थे. यहीं पर 1942 में जब वे पहली बार कैंची गांव आए, तो उनकी मुलाकात स्थानीय ग्रामीण पूर्णानंद तिवारी से हुई. उन्होंने बाबा से पूछा था कि वे अगली बार कब दर्शन करेंगे. इस पर बाबा ने कहा था कि वे 20 साल बाद फिर कैंची आएंगे. 1962 में वे फिर कैंची आए. कैंची मंदिर व आश्रम के प्रभारी विनोद जोशी ने बताया कि उनके द्वारा लिया गया संकल्प जल्द ही मूर्त रूप ले गया. 1965 में हनुमान मंदिर बनकर तैयार हुआ और उसी वर्ष 15 जून को पहला भंडारा आयोजित किया गया, जिसके बाद से हर साल इसी तिथि को मंदिर परिसर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होता है.