।। आसन ।।
आसन पर बैठकर पूजा करने से देवी देवताओ के प्रति सम्मान प्रकट होता है और पूजा पूर्ण मानी जाती है ।
ध्यान जप आदि साधना के लिए यथोचित आसन होना अति आवश्यक है ।
बिना आसन के किए हुए जप निष्फल हो जाता है ।
कौन से आसन का क्या प्रभाव है ।। कपड़े के आसन पर बैठकर जप करने से दरिद्रता आती है ।
भूमि पर बैठकर जप करने से दुख आता है ।
लकड़ी के आसन पर किए हुए जब निष्फल होते हैं ।
कुश और दूर्वा के आसन पर सफेद कंबल बिछाकर उसके ऊपर बैठकर जप करना चाहिए। काले मृगचर्म पर बैठकर जप करने से ज्ञान सिद्ध होती है।
व्याघ चर्म पर बैठकर जप करने से मुक्ति प्राप्त होती है परंतु कंबल के आसन पर सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।
दूसरे के आसन पर बैठकर जप करने से भी जब फलदाई नहीं होता है।
साधना के लिए अपना निजी आसन अलग रखें उसे अन्य लोगों के उपयोग में न लाए।
अपना आसन अपनी माला अपना गुरु मंत्र सुरक्षित रखना चाहिए ।