उज्जैन में की जाती है सप्तसागरों की परिक्रमा
उज्जैन में अलग-अलग स्थानों पर 7 तालाब हैं, जिन्हें सप्त सागर कहा जाता है। इनका वर्णन स्कंद पुराण आदि कई ग्रंथों में मिलता है। वैसे तो यहां प्रतिदिन पूजा-पाठ की जाती है, लेकिन अधिक मास के दौरान एक ही दिन में 7 सप्तसागरों की परिक्रमा करने की परंपरा है। इस दौरान हर तालाब में कुछ खास चीजें चढ़ाई जाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फल मिलते हैं जीवन के सभी कष्ट भी दूर होते हैं। आगे जानिए किस तालाब (सागर) में कौन-सी चीज चढ़ाई जाती है…
1. सप्तसागर के अंतर्गत आने वाले पहले सागर का नाम रुद्रसागर है, जो महाकाल मंदिर और हरसिद्धि मंदिर के बीच स्थित है। भक्त यहां नमक, सफेद कपड़े और चांदी के नंदी अर्पित करते हैं।
- सप्त सागरों में दूसरा है पुष्कर सागर। ये महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर नलिया बाखल क्षेत्र में स्थित है। यहां पीले वस्त्र व चने की दाल चढ़ाई जाती है।
- नई सड़क पर स्थित है क्षीर सागर। यहां साबूदाने की खीर और बर्तन चढ़ाने की परंपरा है।।
- चौथे सागर का नाम है गोवर्धन। ये निकास चौराहे पर स्थित है। यहां माखन-मिश्री, गेहूं और लाल कपड़े चढ़ाने का विधान है।
- उज्जैन शहर के लगभग 4 किमी दूर ग्राम उंडासा में है रत्नाकर सागर। यहां पंचरत्न, महिलाओं के शृंगार की सामग्री और महिलाओं के वस्त्र चढ़ाने की परंपरा है।
- प्राचीन राम जनार्दन के पास स्थित है विष्णु सागर, भक्त यहां पंचपात्र, ग्रंथ, माला आदि चीजें चढ़ाते हैं।
- इंदिरा नगर के नजदीक स्थित है पुरुषोत्तम सागर, यहां चलनी और मालपुआ अर्पित करते हैं।
तीन साल में एक बार आने वाले अधिकमास में सप्त सागरों की यात्रा व पूजा अर्चना का महत्व ज्यादा होता है, वैसे ये एक छोटी सी यात्रा कभी भी की जा सकती है, कहा गया है कि कोई भी कर्म निष्फल नहीं होता है अतः ईश्वर में पूरी श्रद्धा रखकर किसी भी तिथि पर एक बार आप यह यात्रा परिक्रमा अवश्य करे।।
भगवान सबकी मनोकामना पूर्ण करे।